1. जैसा इंसान का चरित्र होता है, वैसे ही उसके मित्र होते हैं।
2. प्यार लोगों को करीब लाता है.. नफरत दूर ले जाती है।
3. जिसका का चरित्र अच्छा है, उसके अच्छे मित्र होंगे और जिसका चरित्र बुरा है, उसके इर्द-गिर्द अपने आपको मित्र कहने वाले उसके शत्रु ही घूमते रहते हैं।
4. स्वार्थी मत बनो। मेहनत करके अपनी रोजी-रोटी कमाओ। पैसे के पीछे मत भागो।
5. सच्चे और अच्छे मित्र इंसान को सदा अच्छी सलाह देते हैं। उसे बुरे रास्ते पर चलने से रोकते हैं लेकिन मित्र का चोला पहना हुआ शत्रु उसे बहकाता है, बहलाता है, भटकाता है, गलत रास्ते पर जाने की सलाह देकर काम करने के लिए उकसाता है और एक दिन इंसान अपने मित्र रुपी जाल में फंस जाता है।
6. ईश्वर को पाने की कोशिश करते रहो; भला होगा।
7. जो दूसरों को धोखा देता है, वह नहीं जानता कि उसे धोखा देने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यही तो मालिक का न्याय है।
8. जहां विश्वास होता है ..वहीं विश्वासघात भी।
9. जो बोयेगा वही तो काटेगा इसलिए अच्छे कर्म करो, परमात्मा पर ध्यान दो, मोह माया के जाल में मत फंसो। और संमार्ग पर चलते रहो... कल्याण होगा तुम्हारा।
10. मिलना...बिछड़ना ये तो जिंदगी का अटूट हिस्सा है। हम सब जानते हैं फिर भी इंसान जब किसी को अपने दिल में जगह देता है तो बिछड़ते समय इंसान का दिल रोता है।
11. सबका मालिक एक है।
12. विश्वासघात वही करता है जिस पर इंसान विश्वास करता है और जब इंसान अपने विश्वास पर घात देखता है तो उसका अपना विश्वास भी डगमगा जाता है।
क्यों डगमगा जाता है? क्योंकि विश्वास का अर्थ ही निश्चिंतता, निर्भयता और निर्भरता है।
12. गुरु के वचन चाहे कितने ही कठोर क्यों ना हो? इससे इंसान का उद्धार होता है।
13. जागता है.... सिर्फ दीया(दिपक)। यह दिया नहीं योगी है; परम योगी। अपने अंत तक दूसरों के लिए जलता है और दूसरों की जिंदगी को रोशन करता है। अंधेरे में रास्ता दिखाता है और जो रात के अंधेरे में काम करता है, उसको आगाह करता है कि ये मैं देख रहा हूं।
14. यहां कोई किसी का नहीं है। पैसा पास होता है तो दया छोड़कर भाग जाती है। कोई नाता, कोई रिश्ता पैसे से बड़ा नहीं है। पैसा भगवान से भी बड़ा है यही तो कलयुग की माया है... महिमा है।
15. मालिक की कृपा प्रसाद का साक्षत्कार करना है तो अपने दिल में भक्ति और विश्वास के लिए दीपक बनाकर उसमें प्रेम और श्रद्धा की ज्योति जलानी चाहिए।
16. असल में पैसा इंसान का दुश्मन है लेकिन इंसान अपने दुश्मन को अपने शत्रु से बड़ा दोस्त समझता है।
17. एक बार जिसके साथ विश्वासघात हो जाए; उसका विश्वास पर से विश्वास उठ जाता है।
18. पैसा साधन है सुख हासिल करने का; लेकिन पैसा कभी सुख नहीं है।
19. असली सुख दूसरों को सुख देने में ही मिलता है और सच्चा सुख प्रभु की भक्ति में है इसलिए मालिक को दिन रात याद करो और जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाओ।
20. लेकिन इंसान की यही धारणा कि पैसा ही सब कुछ है.... गलत है।
21. याद रखो! दूसरों को कभी दुख मत दो उन्हें खुशी दो.. उनकी खुशियां छिनो मत। किसी की निंदा ना करो, किसी से नफरत नहीं क्योंकि प्यार लोगों को करीब लाता है और नफरत दूर ले जाती है।
22. जब तक इंसान पैसों की मोह माया के भूलभुलैया में फंसा रहेगा ;उसे पीड़ा से मुक्ति नहीं मिलेगी।
23. दुनिया चाहे सारे दरवाजे बंद क्यों न कर दे, इंसान का मालिक पर अटूट विश्वास रहना चाहिए। उसका विश्वास उसे सब्र करने की ताकत देता है; ऐसे समय में उसकी भक्ति ही उसकी शक्ति बन जाती है। उसकी आस्था और श्रद्धा उसे हर हाल और हालात में विश्वास दिलाती रहती है कि मालिक उसके लिए कोई ना कोई दरवाजा खोलेगा।
24. पैसा सब कुछ नहीं है.... पैसा ही सब कुछ होता तो हर पैसे वाला सुखी होता, दुरुस्त होता, आनंदमय में होता।
25. इंसान क्यों यह भूल जाता है कि भक्ति जगत नारायण की करनी चाहिए.. नगद नारायण की नहीं।
26. लेकिन इस संसार में कोई भी सुखी नहीं है.. तो फिर इंसान पैसों के पीछे इतना क्यों भागता है?
27. क्यों इंसान पैसों के लिए अपना मुंह मोड़ लेता है? जो दूसरों की आंखों को में आंसू देख कर भी उसका दिल नहीं पसीजता।
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