Gratuity Full Information In Hindi Gratuity Rules What Is Gratuity



1. ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 (Payment Of Gratuity Act 1972) 2. ग्रेच्युटी क्या है (What Is Gratuity ?) 3. ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए कौन उत्तरदायी है (Who Is Liable To Pay Gratuity ? ) 4. ग्रेच्युटी किसे मिलती है (Who Is Eligible For A Gratuity ?) 5. कौन-कौन से केस है जिसमें ग्रेच्युटी मिलती है (Which is the case in which gratuity is obtained ?) 6. ग्रेच्युटी कब रोकी जा सकती है (Termination Of Gratuity) 7. ग्रेच्युटी की गणना (Gratuity Calculation) 8. मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी (Death Gratuity) 9. Gratuity Calculator For Workers Covered Under Gratuity Act Link : https://drive.google.com/u/0/uc?id=1m... 10. Gratuity Calculator For Workers Not Covered Under Gratuity Act Link :- https://drive.google.com/u/0/uc?id=1j...

Gratuity Calculation: क्या है ग्रैच्युटी और कैसे की जाती है इसकी गणना जानें- यहां

Gratuity Calculation: जब कोई कर्मचारी किसी कंपनी में पांच साल की सेवा पूरी कर लेता है. उसके बाद वह कंपनी को छोड़ता है तो कंपनी उसे अप्रीसिएशन के तौर पर जो रकम देती है, उसको ग्रैच्युटी कहा जाता है.


लंबे समय तक किसी नियोक्ता (कंपनी या संस्थान) की सेवा में रहने के बदले में, आभार के तौर पर कर्मचारियों को ग्रेच्युटी दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रेच्युटी कैसे यानी कि किस हिसाब से मिलती है? इस लेख में हम वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान लागू ग्रेच्युटी के नियमों की जानकारी दे रहे हैं। साथ ही Gratuity Calculation का तरीका और अन्य उपयोगी तथ्यों के बारे में भी बताएंगे

—:ग्रेच्युटी पर नया अपडेट:—

दरअसल, ग्रेच्युटी का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि कर्मचारी ​जल्दी-जल्दी नौकरी न छोडें। लंबे समय तक सेवा देने के बदले कंपनी की या संस्थान की ओर से, उन्हें आभार स्वरूप या पारितोषिक के रूप में Gratuity दी जाती है। कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, मूल रूप से Payment of Gratuity Act, 1972 के मुताबिक मिलती है।

इसमें समय-समय पर बदलाव किए जाते रहे हैं। आखिरी बदलाव ग्रेच्युटी अधिनियम संशोधन 2018 के माध्यम से हुआ, जिसमें Tax Free ​ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपए से बढाकर 20 लाख रुपए तक की गई। वर्तमान में (वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान) ग्रेच्युटी के संबंध में लागू नियम इस प्रकार हैं—

1. दस से अधिक कर्मचारियों वाले संस्थान में अनिवार्य

जिस संस्थान में 10 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं, वहां पर Gratuity Act, लागू होता है। यानी कि उस संस्थान के, कर्मचारियों को शर्तें पूरी करने पर, ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए। यहां तक कि, पिछले 12 महीनो में एक ​भी दिन अगर वहां 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत रहे हैं तो वहां  Gratuity Act लागू होगा।

एक बार Gratuity Act  के तहत आने के बाद, अगर कर्मचारियों की संख्या घटकर 10 से कम भी रह जाती है तो भी Gratuity Act लागू रहेगा और कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने का हक बरकरार रहेगा।

यह एक्ट कंपनियों, फैक्ट​​रियों, खानों (mines), तेल उत्पादक क्षेत्रों (oil fields) , बागानों (plantations), बंदरगाहों (ports), रेलवे, मोटर परिवहन निगमों, दुकानों एवं अन्य प्रतिष्ठानों (establishments), वगैरह के कर्मचारियों पर लागू लागू होता है। सभी तरह के government jobs भी इसकी सीमा में आते हैं।

2. पांच साल की नौकरी पूरी होने पर मिलती है ग्रेच्युटी

फिलहाल, सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है, जिन्होंने कम से कम 5 साल तक लगातार एक ही कंपनी या संस्थान में नौकरी की हो। इस 5 साल की अवधि गणना में, वह समय भी शामिल किया जाएगा, जबकि बीमारी, दुर्घटना, अवकाश, वगैरह के कारण कर्मचारी काम पर नहीं था। इसके अलावा, हडताल, lay off, तालाबंदी या ऐसे कारण जिनके लिए कर्मचारी स्वयं जिम्मेदार नहीं हो, उन दिनों को भी उसके काम के दिनों की गिनती में शामिल किया जाएगा।

3. चार साल 8 महीने की नौकरी पर भी ग्रेच्युटी का हक

अगर कोई कर्मचारी एक ही संस्थान में 4 साल 8  महीने की नौकरी पूरी कर चुका है तो वह भी ग्रेच्युटी पाने का हकदार होगा। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए, के एक फैसले के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी ने 4 साल और 240 दिन तक काम किया है तो उसकी सेवा अवधि पांच साल मानी जाएगी।

कार्यकाल गणना के संबंध में 1984 के ग्रेच्युटी संशोधन विधेयक (payment of gratuity (second amendment) act, 1984) में स्पष्टीकरण दिया गया है। इसके मुताबिक पांचवां वर्ष, इन नियमों के हिसाब से गिना जाएगा—

  • जिन संस्थानों में हफ्ते में 5 दिन कार्यदिवस (working days) रखे जाते हैं, वहां पर 190 दिनों तक काम करने पर, उसे पूरे साल के बराबर माना जाएगा। यानी कि 4 साल 6 महीना और 10 दिन की सेवाअ​वधि को 5 साल गिना जाएगा।
  • जिन संस्थानों में, हफ्ते में 6 दिन काम होता है, वहां पर 240 दिन काम करने पर एक साल के बराबर माना जाएगा। यानी कि 4 साल और 8 महीने की सेवाअ​वधि को 5 साल गिना जाएगा।

4. हर साल के लिए मासिक सैलरी का 15/26 हिस्सा ​मिलता है

ग्रेच्युटी एक्ट के तहत आने वाले संस्थानों के कर्मचारियों को प्रत्येक वर्ष की सेवा अवधि के बदले में, एक महीने की सैलरी का 15/26 वां हिस्सा दिया जाता है। उनके लिए,  ग्रेच्युटी  की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार होगा—

5/26 × last salary × years of service

हिंदी में इस फॉर्मूले का स्वरूप इस प्रकार होगा—

15/26 × अंतिम सैलरी × नौकरी के कुल वर्ष

फॉर्मूले में शामिल तथ्यों के बारे में स्पष्टीकरण—

  • एक महीने में औसतन कुल 26 कार्यदिवस माने गए हैं। हर महीने  4 दिन की छुट्टी बाहर कर दी गई है।
  • अंतिम महीने की सैलरी के लिए पिछले 10 महीने की सैलरी के औसत को शामिल किया जाता है।
  • सैलरी के मद में, सिर्फ बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता को शामिल किया जाएगा।
  • नौकरी के कुल वर्षों की गणना में 6 महीने से अधिक के कार्यकाल को पूरा एक वर्ष माना जाता है।

Note: नियोक्ता चाहे तो इस फॉर्मूले के आधार पर निकली ग्रेच्युटी से अधिक भी अपने कर्मचारी को दे सकता है।

5. ग्रेच्युटी एक्ट से बाहर के कर्मचारियों को भी दी जा सकती है

जिन संस्थानों में 10 से कम लोग काम करते हैं, उन्हें ग्रेच्युटी एक्ट लागू करना अनिवार्य तो नहीं है। लेकिन वे चाहें तो अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी दे सकते हैं। उनके लिए ग्रेच्युटी के फॉर्मूला में थोडा सा अंतर होता है। ऐसे कर्मचारियों को नौकरी में गुजारे गए हर वर्ष के लिए आधे महीने की तनख्वाह ग्रेच्युटी के रूप में मिलना चाहिए।

ऐसे कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की गणना का फॉर्मूला इस प्रकार है—

15/30 × last salary × years of service

हिंदी में इस फॉर्मूले का स्वरूप इस प्रकार होगा—

15/30 × अंतिम सैलरी × नौकरी के कुल वर्ष

यहां भी अंतिम महीने की सैलरी के लिए पिछले 10 महीनों की सैलरी का औसत निकालकर रखा जाएगा। और, सैलरी के मद में, सिर्फ बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और बिक्री से मिले कमीशन को शामिल किया जाएगा।

6. सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, छमाही के हिसाब से

सरकारी कर्मचारियों को रिटायर होने पर जो ग्रेच्युटी मिलती है, उसमें अवधि की गणना के लिए वर्ष की बजाय छमाही को गिना जाता है। उन्हें हर छह महीने की नौकरी के लिए, एक महीने की चौथाई (1/4) सैलरी, ग्रेच्युटी के रूप में दी जाती है।

सैलरी के मद में यहां भी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता के योग को शामिल किया जाता है। ऐसे कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी का अधिकतम 16 गुना ही ग्रेच्युटी के रूप में मिल सकता है। लेकिन यह 20 लाख रुपए से अधिक नहीं हो सकती।

7. मौत होने पर या अक्षम होने पर, अवधि का प्रतिबंध नहीं

कंपनी या संस्थान में नौकरी के दौरान, कर्मचारी की मृत्यु होने पर, उसकी ग्रेच्युटी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि की शर्त नहीं लागू होती। यानी कि कितनी भी कम सेवा अवधि होने पर भी उसके नोमिनी या आश्रितों को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार होगा।ऐसे मामलों में, ग्रेच्युटी निर्धारण नीचे दी गई टेबल के अनुसार होता है—

नौकरी की अवधिग्रेच्युटी की रकम
1 साल से कमसैलरी का 2 गुना
1 साल से 5 साल तकसैलरी का 6 गुना
5 साल से 11 साल तकसैलरी का 12 गुना
11 साल से 20 साल तकसैलरी का 20 गुना
20 साल से अधिकहर 6 महीने की नौकरी के लिए आधे महीने की सैलरी

ote: ऐसे मामलों में ग्रेच्युटी की मात्रा सैलरी की अधिकतम 33 गुना तक हो सकती है, पर 20 लाख से अधिक नहीं।

8. बीस लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी पर कोई टैक्स नहीं

फिलहाल कर्मचारियों को मिलने वाली 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री है। और ये टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के कर्मचारियों के लिए है। मार्च 2018 के पहले तक ये सीमा 10 लाख रुपए तक ही थी, जिसे मार्च 2018 में सरकार ने बढाकर 20 लाख कर दिया  (Payment of Gratuity (Amendment) Bill, 2018 के माध्यम से)। इनकम टैक्स ऐक्ट के Section 10(10)(iii) के तहत यह टैक्स छूट कर्मचारियों को मिलती है।

9. तीस दिन के अंदर हो जाना चाहिए ग्रेच्युटी का भुगतान

ग्रेच्युटी का बिल तैयारी होने की तारीख से 30 दिन के भीतर उसका भुगतान कर्मचारी को मिल जाना चाहिए। अगर निर्धारित समय के अंदर उसका भुगतान नहीं होता तो उसके बाद की अवधि के लिए नियोक्ता को ग्रेच्युटी की रकम पर ब्याज भी चुकानी होगी।  ग्रेच्युटी एक्ट के अनुसार, ग्रेच्युटी का भुगतान नकद में (in cash) किया जाना चाहिए।

लेकिन यदि कर्मचारी चाहता है तो बैंक चेक या डिमांड ड्राफट मे माध्यम से भी भुगतान किया जा सकता है। हालांकि, सामान्यत: कंपनियां चेक के रूप में ही ग्रेच्युटी देती हैं। कर्मचारी के जीवित न रहने पर उसके नोमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को भुगतान मिलेगा। उनके मामले में भी ये नियम लागू होंगे।

10. आपराधिक कारण से निकालने पर जब्त हो सकती ग्रेच्युटी | Forfeiture conditions

किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी तभी जब्त की जा सकती है, जबकि, उस कर्मचारी को नियमविरुद्ध आचरण (disorderly conduct) या हिंसा के कारण नौकरी से बर्खास्त (terminated) किया गया हो। बशर्ते ​कि, ऐसा कार्य नौकरी के दौरान किया गया हो और किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया हो।

लेकिन ऐसे किसी कारण से ग्रेच्युटी जब्त करने से पहले, बाकायदा बर्खास्तगी आदेश (termination order) जारी किया जाना चाहिए। उस आदेश में, कर्मचारी पर साबित हुए आरोपों का भी उल्लेख होना चाहिए। 

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