7.97 करोड़ थी जून में वेतन पाने वालों की संख्या जो अब जुलाई 2021 में घटकर 7.65 करोड़ हो गई है ।

जुलाई 2021 में 3200000 वेतनभोगियों ने गवाही नौकरियां।
कोविड-19 की दूसरी लहर का वैसे तो संगठित क्षेत्र पर कम असर दिखा लेकिन इससे उबरने में ज्यादा समय लग रहा है सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि संगठित क्षेत्र अभी रोजगार के पर्याप्त मौके नहीं बना रहा।
जिससे जुलाई में 3200000 वेतन भोगियों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है।
सीएमआईई के अनुसार बुनियादी क्षेत्र को ढांचागत कमजोरी उजागर हो गई। जून तक संगठित क्षेत्र में वेतन पाने वाले कर्मचारियों की कुल संख्या 7.97 करोड़ थी जो जुलाई के आखिर तक गिरकर 7.65 करोड़ पर आ गई।
इस तरह करीब 32 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा इसमें शहरी वेतन भोगियों की संख्या 26 लाख रही जो अब घटकर 4.61 करोड़ पर आ गई है जून में शहरी क्षेत्र में कुल वेतन भोगी की संख्या 4.87 करोड़ थी।
कोरोना वायरस से पहले जुलाई 2019 में कुल वेतन भोगियों की संख्या 8.6 करोड़ थी।
सीएमआईई का दावा संगठित क्षेत्र में नहीं बन रहे रोज के पर्याप्त मौके -
छोटे दुकानदार मोतिहार मजदूर 24 लाख बढ़े।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के रोजगार शोध प्रमुख अमित बस वाले का कहना है कि महामारी के दबाव में लोगों ने खुद के छोटे-छोटे काम शुरू कर दिए जुलाई में छोटे दुकानदार हुआ देहाती मजदूर की संख्या 24 लाख से बढ़कर 3.04 करोड़ तक पहुंच गई ।
इस दौरान खेती किसानी के कार्यों से भी 17 लाख नए लोग जुड़े।
इधर आईटी कंपनियों ने 5 साल में सबसे ज्यादा भर्ती की।
शीर्ष 10 आईटी कंपनियों में जून 2021 तक पहली छमाही में 1.21 लाख नई भर्तियां की हैं।
यह पिछले 5 साल की पहली छमाही के मुकाबले सबसे ज्यादा है। महामारी में डिजिटल व तकनीकी सेवाओं की मांग बढ़ने से टीसीएस इंफोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों की दहाई अंकों में मुनाफे की उम्मीद है महामारी में पहले 2019 की पहली छमाही में आईटी कंपनियों में 45,649 कर्मचारियों की भर्ती की थी।
शीर्ष 10 आईटी कंपनियों में 5 साल पहले जहां कुल कर्मचारियों की संख्या 10 लाख थी अब बढ़कर 14 लाख पहुंच गई है।

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