हमारा अहंकार, हमारा गुस्सा, हमारी नफरत हमें इस सच को स्वीकार करने की इजाज़त भले ही न देता हो बावजूद इसके हम इस सच से मुंह नही मोड़ सकते

किसी दूसरे इंसान को गलत ठहराते समय, हम चाहे कोई भी तर्क दें लेकिन मन ही मन हम सभी मानते है कि हर किसी में कुछ कमियां है तो कुछ खूबियां भी है..

हमारा अहंकार, हमारा गुस्सा, हमारी नफरत हमें इस सच को स्वीकार करने की इजाज़त भले ही न देता हो बावजूद इसके हम इस सच से मुंह नही मोड़ सकते..

यही वो सच है जो हर पल हमारी परीक्षा लेता है। क्योंकि किसी बुरे से दूरी बनाने में हमसे उसकी अच्छाई का भी एक अंश छूट जाता है और किसी अच्छे को अपनाने में उसकी बुराई का भी एक अंश उसके साथ साथ हमारे पास चला आता है, दोनों ही परिस्थितियों में यह हमारी तकलीफ की वजह बनता है..

अब सवाल यह उठता है कि अगर एक बार को खुले मन से इस सच को स्वीकार कर भी लिया जाए तो हमारे पास क्या रास्ता है?

रास्ता बहुत ही सहज और सरल है बस हमें इस रास्ते पर चलने का हौसला करना है, हमारा पूरा ध्यान किसी को अच्छा कहकर उसे अपनाने या उसे बुरा ठहराकर उससे दूरी बनाने पर नही बल्कि हर किसी की अच्छाई को अपनाने और हर किसी की बुराई से दूरी बनाने पर होना चाहिए..

हमारे साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम किसी पर उसके अच्छा या उसके बुरा होने का ठप्पा लगाने की बड़ी जल्दी में रहते है, हमारी यही त्तपरता हमारी परेशानियों का सबब बनती है, इसी जल्दी के चलते या तो हम उससे दूरी बना कर उसकी अच्छाइयों को याद कर दुखी रहने लगते है या उसे अपनाकर उसमें बुराईयां ढूंढ ढूंढ कर उससे दुखी रहने लगते है..

हम कभी समझ ही नही पाए कि किसी को बुरा ठहराकर उसके खिलाफ़ लड़ना या उस पर बुरा होने का तमगा लगाए बिना उसकी बुराइयों के खिलाफ लड़ना दो अलग अलग बातें हैं। अगर हम यूँ ही लोगों की कमियां ढूंढ ढूंढ कर उनसे दूर होते जाएंगे तो वो दिन दूर नही जब किसी रोज हम अकेले बैठकर अपने ही लिए फैसलों पर पछता रहे होंगे..

Post a Comment

0 Comments