पी.सी.एस. एक परिचय

राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315(1) के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) के साथ-साथ प्रत्येक राज्य में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं के आयोजन के लिये ‘राज्य लोक सेवा आयोग’ की स्थापना का प्रावधान किया गया है। यह आयोग इन सेवाओं से संबद्ध परीक्षाओं का आयोजन कराता है राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षा ‘पी.सी.एस.’ (प्रोविंशियल सिविल सर्विसेज़) परीक्षा है। 
  • यू.पी.एस.सी. की परीक्षा की तैयारी के दौरान ज़्यादातर अभ्यर्थी राज्य सिविल सेवा (पी.सी.एस.) परीक्षाओं में भी सम्मिलित होते हैं। यह प्रवृत्ति अधिकांशत: हिंदी भाषी राज्यों के अभ्यर्थियों में देखने को मिलती है।
  • ‘पी.सी.एस.’ परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी संबंधित राज्य विशेष के प्रशासन के अंग होते हैं जिनकी नियुक्ति उस राज्य विशेष में ज़िला, प्रखंड व तहसील स्तर पर की जाती है। 
  • स्थायित्व, सम्मान एवं कार्य करने की व्यापक एवं अनुकूल दशाओं इत्यादि का बेहतर मंच उपलब्ध कराने के कारण ये परीक्षाएँ अभ्यर्थियों एवं समाज के बीच सदैव प्राथमिकता एवं गौरव की विषयवस्तु रही हैं।  
परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु अर्हताएं 
  • राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में सामान्यत: किसी भी राज्य के अभ्यर्थी, जो आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों (आयु सीमा, शैक्षिक योग्यता इत्यादि) को पूरा करते हों, सम्मिलित हो सकते हैं। 
  • इन परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिये आवेदक की न्यूनतम आयु 21 वर्ष (किन्हीं विशिष्ट पद हेतु 18 वर्ष) तथा अधिकतम आयु भिन्न राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा (कुछ विशेष आरक्षित प्रावधानों को छोड़कर) सामान्यत: 35-40 वर्ष निर्धारित की गई है। 
  • इन परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिये आवेदक को भारत में केन्द्रीय या राज्य विधानमंडल द्वारा अधिकृत किसी  विश्वविद्यालय या संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित या घोषित शिक्षण संस्थान जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम,1956 की धारा-3 के अंतर्गत या आयोग के परामर्श से एक विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी गई हो, से डिग्री धारक होना चाहिये। 
  • राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा पी.सी.एस. परीक्षा में कुछ विशेष पदों (पुलिस उपाधीक्षक, अधीक्षक कारागार इत्यादि) के लिये शारीरिक मापदंड (सामान्यत: 165-167 सेमी.की लम्बाई इत्यादि ) तथा कुछ विशेष पदों (सांख्यिकीय अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, लेखाधिकारी इत्यादि) के लिये विशेष शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण किया गया है।    
  • सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण कोटे का निर्धारण जहाँ केद्र सरकार द्वारा किया जाता है, वहीं ‘पी.सी.एस.’ परीक्षाओं में आरक्षण कोटे का निर्धारण विभिन्न राज्यों द्वारा अपने-अपने तरीके से किया जाता है। इसलिये यह भी संभव है कि यदि कोई ‘जाति’ किसी राज्य में 'आरक्षित श्रेणी' के अंतर्गत आती हो, उसे अन्य राज्य के संदर्भ में ‘सामान्य श्रेणी’ का माना जाए।

परीक्षा की तैयारी कैसे करें ?  
  • सिविल सेवा परीक्षा की तरह ही सभी पी.सी.एस. परीक्षाओं में भी तीन स्तर (प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार) होते हैं। हालाँकि, विभिन्न राज्यों की पी.सी.एस. परीक्षाओं की प्रकृति में अंतर अवश्य है, जैसे- राजस्थान, उत्तराखंड एवं छत्तीसगढ़ में प्रारंभिक परीक्षा में ऋणात्मक अंकन (Negative marking) का प्रावधान है, जबकि अन्य राज्यों (जिनका उल्लेख इस वेबसाइट में किया गया है ) में नहीं है। ऐसे ही, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते हैं, जिनमें द्वितीय प्रश्नपत्र के रूप में सीसैट (सिविल सर्विसेज़ एप्टिट्यूड टेस्ट) का प्रश्नपत्र होता है झारखण्ड में द्वितीय प्रश्नपत्र के रूप में ‘झारखण्ड का सामान्य ज्ञान’ पूछा जाता है, जबकि बिहार और राजस्थान में प्रारंभिक परीक्षा में एक ही प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन) होता है। 
  • प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में सूक्ष्म अंतर होने के बावजूद सिविल सेवा परीक्षा के प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की पी.सी.एस. परीक्षाओं में सार्थक भूमिका होती है, इसलिये यू.पी.एस.सी. की परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी अगर उपयुक्त रणनीति के साथ-साथ परीक्षा की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए पी.सी.एस. परीक्षाओं की तैयारी करें तो पी.सी.एस. परीक्षाओं में उनके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।  
  • पी.सी.एस. परीक्षा में सफल होने की एक अन्य अनिवार्य शर्त है- तथ्यों पर मज़बूत पकड़, जबकि सिविल सेवा परीक्षा में तथ्यों के साथ-साथ विश्लेषणात्मक क्षमता की भी आवश्यकता होती है। अत: अभ्यर्थियों को एक संतुलित रणनीति के साथ तैयारी करने की आवश्यकता है।  
  • देखा जाए तो कुछ राज्य लोक सेवा आयोगों ने अपने प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम को संघ लोक सेवा आयोग के अनुरूप बनाने का प्रयास किया है, किंतु इन दोनों परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति एवं आयोगों द्वारा अपेक्षित उत्तर में अंतर होने के कारण इनकी गंभीर समझ होनी अनिवार्य है।       
  • परीक्षा हेतु उपयुक्त रणनीति 
  • किसी भी परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिये उसकी प्रकृति एवं प्रक्रिया के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता होती है, जबकि पी.सी.एस. परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अधिकांश अभ्यर्थी इन परीक्षाओं की रणनीति को या तो समझ नहीं पाते हैं या फिर इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं फलस्वरूप परीक्षा में अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। 
  • कक्षा-6 से कक्षा-12 तक की एन.सी.ई.आर.टी. की सभी विषयों की पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए 
  • साथ ही, समसामयिक घटनाक्रम से संबंधित प्रश्नों को हल करने के लिये  दैनिक समाचार विश्लेषण, दैनिक लेख विश्लेषण एवं उनसे संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का संकलन (व्याख्या सहित उत्तर के साथ) प्रतिदिन अध्ययन करना चाहिए 
  • राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये उस राज्य से संबंधित प्रमुख परीक्षोपयोगी विषयों पर अवधारणात्मक व तथ्यात्मक जानकारी का अध्ययन करना चाहिए l

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