रीट में पहले चीट अब 32 हजार शिक्षकों की भर्ती में नया विवाद, 11 लाख बेरोजगार परेशान Rajsthan Breaking news

💥रीट में पहले चीट अब 32 हजार शिक्षकों की भर्ती में नया विवाद, 11 लाख बेरोजगार परेशान👇👇
यह कैसे कायदे: परीक्षा राज्यस्तरीय फिर भी जिलों को परिणाम से पहले पहले ही अलॉट कर दिए पद
महिला, खिलाड़ी, आर्थिक पिछड़ा वर्ग व पूर्व सैनिकों के टूटे अरमानशिक्षा विभाग ने जिलों को पद अलॉट करने के बाद किया वर्गीकरण
रीट के जरिए होने वाली 32 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला
शिक्षा विभाग की ओर से 32 हजार पदों के लिए होने वाली तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती को लेकर बेरोजगारों की ओर से सवाल उठाए जा रहे है। बेरोजगारों के चयन का मुख्य आधार रीट परीक्षा रखा गया है। क्योंकि रीट के अंकों के आधार पर ही बेरोजगारों को नौकरी मिलनी है। रीट परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों के अभ्यर्थियों के लिए एक साथ हुई थी। लेकिन पंचायतीराज विभाग की भर्ती होने की वजह से अब विभाग ने पदों का वर्गीकरण जिलों में रिक्त पदों के हिसाब से कर दिया। इस वजह से महिला, खिलाड़ी, आर्थिक पिछड़ा वर्ग व पूर्व सैनिकों के अरमान टूट गए है। इसका खामियाजा प्रदेश के 11 लाख बेरोजगारों को उठाना पड़ रहा है।

*ऐसे टूट रही बेरोजगारों की आस*

केस एक: 1.15 लाख से ज्यादा ईडब्लूएस प्रमाण पत्र बने, कोटे के हिसाब से पद नहीं
सामान्य शिक्षा रीट प्रथम व द्वितीय लेवल में ईडब्लूएस श्रेणी सहित अन्य चार श्रेणी के बेरोजगारों को नुकसान हुआ है। यदि दोनों लेवल के कुल पदों के आधार पर पदों की गणना की जाती तो ज्यादा पद मिलते। लेकिन जिलों में पद अलॉट कर पहले ही वर्गीकरण करने से नुकसान हुआ है।

केस दो: पद दस से कम, सभी को नुकसान
शिक्षा विभाग की ओर से दोनों लेवल में विशेष शिक्षकों के लिए एक हजार तय किए गए है। लेकिन सभी जिलों में पदों की संख्या चार, आठ, सात आदि होने की वजह से भूतपूर्व सैनिक, आर्थिक पिछड़ा वर्ग व खिलाडिय़ों को एक पद भी आवंटित नहीं हुआ है। एक्सपर्ट का कहना है कि न्यूनतम 50 पद होने पर ही इनको पूरा आरक्षण मिल सकता था।

*यह हो सकता है समाधान*

विभाग का तर्क है कि तृतीय श्रेणी अध्यापक की भर्ती पंचायतीराज विभाग के जरिए होती है। इसके लिए पदों का वर्गीकरण पहले करना होता है। लेकिन कानून के जानकारों का दावा है कि पदों का वर्गीकरण पहले करने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन कुल पदों की संख्या के हिसाब से सभी वर्गो को आरक्षण दिया जाकर फिर चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी करनी चाहिए। जिस तरह से प्रथम श्रेणी व्याख्याता व द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती में शिक्षा विभाग की ओर से किया जाता है।
कभी आरपीएससी तो कभी जिला परिषदों के जरिए भर्ती, फिर भी विवादों से नहीं टूटा नाता
2007 में भाजपा के शासन में आरपीएससी की ओर से प्रदेशस्तरीय परीक्षा कराकर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती कराई गई।
वर्ष 2008 में कांग्रेस सत्ता में आई तो अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रभावी होने के कारण शिक्षक पात्रता परीक्षा (आरटेट) कराई गई।
वर्ष 2012 में भर्ती परीक्षा का जिम्मा आरपीएससी से लेकर जिला परिषदों को वापस दे दिया गया। इस भर्ती परीक्षा में आरटेट के 20 प्रतिशत अंक जोड़कर मेरिट बनाई गई।
वर्ष 2013 में 20 हजार पदों के लिए कराई गई। इसकी जिम्मेदारी भी जिला परिषदों को दी गई।
2013 की शिक्षक भर्ती के साथ ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। वर्ष 2016 में भाजपा ने भर्ती का पैटर्न बदल दिया और आरटेट को खत्म कर रीट के माध्यम से भर्ती कराई गई लेकिन इसमें 70 प्रतिशत रीट परीक्षा के 30 प्रतिशत स्नातक के अंको का वेटेज जोड़ा गया।
2018 की भर्ती में भी भाजपा ने 54 हजार पदों के लिए जिला परिषदों के जरिए भर्ती कराई गई। इसमें रीट के अंकों को ज्यादा वैटेज दिया गया।
2021 में 32 हजार पदों के लिए रीट परीक्षा कराई गई। इसमें रीट के 90 फीसदी व स्नातक के 10 फीसदी अंक जोड़े जाने का प्रावधान है।

*शिक्षक पात्रता परीक्षा: कभी समय पर नहीं, इस बार चार साल में हुई*

अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत एनसीटीई ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (आरटेट/रीट) की अनिवार्यता लागू की। प्रदेश में सबसे पहले 2011 में रीट परीक्षा का आयोजन हुआ। एनसीटीई की गाइडलाइन में साल में एक बार शिक्षक पात्रता परीक्षा करवाने का प्रावधान है। इस बार भी प्रदेश में चार साल बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन हुआ है। जबकि सीटेट परीक्षा का आयोजन साल में दो बार होता है।

*एक्सपर्ट व्यू: तृतीय श्रेणी भर्ती में हर बार विवाद, सरकार बनाए स्थायी नीति*

वर्ष 2012, 2013 व 2018 सहित अन्य तृतीय श्रेणी भर्तियों में अलग-अलग विवाद सामने आ चुके है। सरकार बिना नियमों का परीक्षण कराए विज्ञप्ति जारी कर देती है इससे मामला न्यायालय तक पहुंचता है। सरकार को बेरोजगारों को राहत देने के लिए प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्तियों के लिए स्थायी नीति

ी चाहिए जिससे राहत मिल सके।
एडवोकेट संदीप कलवानिया, राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर

*नियमों पर मंथन करें विभाग, बेरोजगारों को मिले राहत*

विभाग को नियमों पर मंथन करना चाहिए जिससे बेरोजगारों को राहत मिल सके। कई वर्गो में जितने पद उस श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होने चाहिए थे उतने हुए ही नहीं। इसको लेकर बेरोजगारों में सरकार के खिलाफ आक्रोश भी है।
उपेन यादव, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ

Post a Comment

0 Comments