मकर संक्रांति
संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से अगली राशि में संक्रमण (जाना)'। सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है.सूर्य की कुल १२ राशियाँ हैं , मेष राशि , वृष राशि, मिथुन राशि, कर्क राशि, सिंह राशि , कन्या राशि , तुला राशि, वॄश्चिक राशि , धनु राशि , मकर राशि, कुम्भ राशि, मीन राशि I ....
सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है, इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं परन्तु दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं-मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति।सूर्य धनु राशि को छोड़ जब मकर राशि में जाता है तब मकर संक्रांति होती है।मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है I....
यह भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भाँति-भाँति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।....
विभिन्न नाम भारत में
मकर संक्रान्ति : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, और जम्मू
ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल : तमिलनाडु
उत्तरायण : गुजरात, उत्तराखण्ड
माघी : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
भोगाली बिहु : असम
शिशुर सेंक्रात : कश्मीर घाटी
खिचड़ी : उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति : पश्चिम बंगाल
मकर संक्रमण : कर्नाटक
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' है। इलाहाबाद में गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है जिसे माघ मेले के नाम से जाना जाता है। १४ जनवरी से ही इलाहाबाद में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है। १४ दिसम्बर से १४ जनवरी तक का समय खर मास के नाम से जाना जाता है।इसमें किसी भी अच्छे काम को अंजाम भी नहीं दिया जाता है। मसलन शादी-ब्याह नहीं किये जाते । परन्तु फिर भी ऐसा विश्वास है कि १४ जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि के आख़िरी स्नान तक चलता है। संक्रान्ति के दिन स्नान के बाद दान देने की भी परम्परा है।बागेश्वर में बड़ा मेला होता है। वैसे गंगा-स्नान रामेश्वर, चित्रशिला व अन्य स्थानों में भी होते हैं। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। इस पर्व पर क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े-बड़े मेले लगते है। समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है।..
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
दान देने से मनुष्य में उदारता आती है ,लोभ कम होता है ,लोभ से कामना ,कामना से क्रोध तथा ईर्ष्या कम होती है Iइसीलिये हमारे शास्त्रों में कठिन परिश्रम से कमाया धन और उस धन से दान की बहुत महिमा बतायी गयी हैI...
शुभ मकर संक्रांति 💐💐
आपका अपना
जगवीर चौधरी
धन्यवाद !🙏
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