परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रश्नों के विवाद में उलझ गई है।अभ्यर्थियों ने दावा किया है कि लिखित परीक्षा में पूछे गए दो सवालों के गलत विकल्पों को परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) ने सही माना है।आपत्ति दर्ज कराने का समय बीत चुका है, सो अभ्यर्थी इस मामले में न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में भर्ती पर संकट मंडराता नजर आ रहा है।
अभ्यर्थियों का दावा है कि लिखित परीक्षा के दौरान ‘बी’ सिरीज की बुकलेट में सवाल नंबर 74 के पहले विकल्प को पीएनपी से नहीं माना है। सवाल था कि भारत में गरीबी का आकलन किस आधार पर किया जाता है? इस पहला विकल्प था, ‘परिवार का उपभोग व्यय’ और पीएनपी ने इसे ही सही माना है जबकि अभ्यर्थियों का दावा है कि तीसरा विकल्प यानी ‘प्रति व्यक्ति व्यय’ सही होगा। अभ्यर्थियों का कहना है कि एनसीईआरटी की कक्षा-11 की पुस्तक के पेज नंबर 67 के अनुसार तीसरा विकल्प ही सही होना चाहिए। इसके अलावा सवाल नंबर 14 को लेकर भी विवाद सामने आया है। सवाल है कि निम्नलिखित में कौन सा एक सामाजिक प्रेरक है। इसके चार विकल्प (आत्मगौरव, प्रेम, भूख, प्यास) दिए गए हैं। इनमें से पीएपी ने पहले विकल्प यानी ‘आत्मगौरव’ को सही माना है, जबकि अभ्यर्थियों का दावा है कि बीटीसी प्रथम सेमेस्टर की किताब के पेज नंबर 106 पर दी गई जानकारी के अनुसार विकल्प दो यानी ‘प्रेम’ सही होगा।अभ्यर्थियों का कहना है कि पीएनपी ने अपनी ही किताब में दिए गए तथ्यों का नकार दिया है।अभ्यर्थी चाहते हैं कि पीएनपी कार्यालय उनकी आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए उत्तरकुंजी में संशोधन करे और इसी आधार पर रिजल्ट जारी करे, लेकिन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय अनिल भूषण चतुर्वेदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह अंतिम उत्तरकुंजी थी और अब किसी तरह की आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। ऐसे में अभ्यर्थी अब न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रश्नों का विवाद सामने आने के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को अब नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से शिक्षक भर्ती की अंतिम उत्तरकुंजी जारी किए जाने के बाद अभ्यर्थी अपने-अपने अंक जोड़कर बैठे हैं और उन्हें अब रिजल्ट आने का इंतजार है। रिजल्ट इस सप्ताह जारी किए जाने की उम्मीद है। 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए हुई परीक्षा में सामान्य के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 65 फीसदी और ओबीसी एवं एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 60 फीसदी निर्धारित किए गए थे। वहीं, पिछली बार हुई 68500 शिक्षक भर्ती में सामान्य के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 45 फीसदी और ओबीसी एवं एससी के लिए 40 फीसदी निर्धारित किए गए थे। इसमें जिन अभ्यर्थियों को न्यूनतम अर्हता या उससे अधिक अंक मिले थे, सबका चयन हो गया था। चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 42 हजार के आसपास थी और बाकी सीटें खाली रह गईं थीं। ऐसे में 69 हजार शिक्षक भर्ती की अंतिम उत्तरकुंजी जारी होने के बाद जिन अभ्यर्थियों ने अपने अंक जोड़ लिए हैं और उनके कुल अंक न्यूनतम अर्हता अंक से अधिक हैं, वे अपना चयन पक्का मान रहे हैं। उन्हें रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है
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