कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई होने से छात्रों की पढ़ाई पर ज्यादा असर

कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई होने से छात्रों की लिखावट बिगड़ गई है। छात्रों के लिखने की गति में भी कमी आई है । कक्षा एक से लेकर माध्यमिक व डिग्री कॉलेज के छात्रों की लिखावट खराब हुई है।


कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए बनी मुसीबत



वर्ष 2020 में कोरोना कम होने पर कोरोना गाइडलाइन के अनुसार छात्रों को बुलाया गया। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने फिर से स्कूल-कॉलेज बंद करा दिए। छात्रों की पढ़ाई पर ज्यादा असर न पड़े इसलिए ऑनलाइन शिक्षा जारी रही। कुछ छात्र ऐसे हैं जिन्होंने डेढ़ साल से किताब ही नहीं उठाई और न हीं ऑनलाइन क्लास में शामिल हुए। ऐसे छात्रों की याद करने की क्षमता के साथ लिखावट पर खासा असर हुआ। इतना ही नहीं लिखने तक की गति कम हो गई। इसके पीछे यह भी कारण माना जा रहा है कि ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा होने से शब्द याद नहीं रहते हैं। शिक्षकों के आंकलन के मुताबिक कक्षा एक से आठवीं तक 45 फीसदी, 9वीं से 12वीं तक के निजी 25 व माध्यमिक 15 और डिग्री कॉलेजों के छात्रों की लिखावट 10 से 15 फीसदी तक खराब हुई है।

सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर असरः

मोबाइल और लैपटॉप से लर्निंग से सबसे अधिक छोटे बच्चों पर विपरित असर पड़ा है। विजुअल इम्पेक्ट सबसे ज्यादा प्रभावी होते हैं और दिमाग में देर तक रहते हैं। अमूमन, ऑफलाइन मोड में बोर्ड पर लिखे गए शब्द या वाक्य बच्चे देर तक रिकॉल कर सकते हैं। शब्दों की बनावट खराब होने के साथ बच्चों की लिखने की गति कम हुई है।


क्या करें छात्र

1 ऑनलाइन स्टडी से समझने और ऑफलाइन लिखने पर अधिक फोकस करें ।
2 शिक्षक के पास माह में एक बार कॉपियां जांचने के लिए भेजी जाए। 3- बच्चे अक्षर की बनावट पर फोकस करें और गति न बदले।

क्या करें शिक्षक

1-शिक्षक लिखने में जल्दबाजी न करें बच्चे उन्हीं से सीखते हैं। 
2- कठिन शब्दों को साफ लिखें, कॉपी जांचते के समय गलतियों की मार्किंग सही से करें ।
3- ऑनलाइन स्टडी के दौरान ऑफलाइन लिखने पर अधिक प्रोत्साहित करें।
कोरोना काल में छात्रों की पढाई पर खासा असर पड़ा है। छात्र जो कॉलेज में आकर सीख पाता है। वह ऑनलाइन शिक्षा से नहीं सीख पाया। 10 से 15 फीसदी हैंड राइटिंग खराब होने के साथ-साथ लिखने की स्पीड भी काफी हुई है। 
- डॉ. सुभाष यादव, सहायक प्रोफेसर


कोरोना काल में छात्र पढाई पर असर पड़ा है। डेढ़ साल से स्कूल बंद रहने असर उनकी पढ़ाई पर पड़ा है। कक्षा एक से लेकर आठवीं के बच्चों की हैंड राइटिंग पर भी खासा असर हुआ है।
- मनोज पांडेय, प्रधानाध्यापक, प्रावि पटनवा, नियामताबाद |


कोरोना काल में स्कूल कॉलेज बंद रहने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। उनकी याद करने की क्षमता कम हो गई। निजी स्कूलों के कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों की हैंड राइटिंग 25 प्रतिशत असर पड़ा है। कोरोना में कुछ छात्र लापरवाह भी हुए। डॉ. पीके सिंह, प्रिंसिपल, बीपीएस पब्लिक स्कूल

कोरोना वायरस से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। इसके साथ ही छात्रों की माध्यमिक के 10 से 15 प्रतिशत छात्रों की हैंड राइटिंग पर प्रभाव पड़ा है। ऐसे में छात्रों को अपनी हैंड राइटिंग में सुधार करना जरूरी है। कोरोना संक्रमण कम होने से स्कूल खुलने की संभावना बन गई है। मनीष पांडेय, प्रवक्ता, केवी

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