सरकारी स्कूलों में इतने वर्षों तक कार्य करने के बाद मुझे व्यक्तिगत रूप से यह अनुभव हुआ कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना न्यून क्यों है? क्योंकि यहां पढ़ाई से अधिक फोकस कागजी घोड़े दौड़ाने की संस्कृति है जबकि निजी स्कूल के शिक्षक इस कागजी भागदौड़ से पूर्णतः मुक्त रहते हैं जिनका फोकस केवल विद्यार्थियों की पढ़ाई पर होता है एक और बात मेरे संज्ञान में आई है कि अक्सर लोग कहते हैं कि पहले सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई लिखाई होती थी उसकी मुख्य वजह भी मुझे अब धीरे-धीरे समझ आने लगी है पहले जो सरकारी शिक्षक हुआ करते थे वे बहुत अधिक पढ़ें लिखें और डिग्रीधारी या प्रशिक्षित नहीं हुआ करते थे फिर भी आज के शिक्षकों से बेहतर आउट पुट देते थे उसका मुख्य कारण यह था कि उस समय के शिक्षकों को अपनी मनमर्जी से पढ़ाने की पूरी आजादी थी उनके ऊपर किसी अधिकारी मंत्रालय या डीपीआई द्वारा तरह तरह के फिजूली आदेश निर्देश नहीं दिए जाते थे वे छात्र की प्रतिभा और क्षमता की पहचान करके अपने अनुभव और ज्ञान से उसे पढ़ाते लिखाते थे परन्तु आज के शिक्षा महौल में नित नए नए प्रयोग अन्वेषण नवाचार तरह तरह के प्रपत्र गोशवारा डाटाबेस आन लाईन फीडिंग की टेंशन शिक्षकों पर अदृश्य भूत की तरह हावी है शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है नौकरी जाने का खतरा किसी आतंकी खतरे से कम नहीं है शिक्षकों के साथ अधिकारियों का शालीनतापूर्वक व्यवहार अब अवशेषी अंग की तरह हो चुका है आज माहौल यह है कि शिक्षक अपनी पीड़ा खुलकर व्यक्त नहीं कर सकता है ऐसे मानसिक रूप से त्रस्त और तनावग्रस्त शिक्षक समाज से बेहतर शिक्षा की उम्मीद करना बेमानी है मुझे तो कभी कभी ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग ने अधिकांश विद्वान अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती केवल तरह तरह के भारी भरकम प्रपत्र बनाने के लिए ही की गई है जबकि इन सभी प्रपत्रों का धरातल की पढ़ाई लिखाई से कोई संबंध नहीं है अपनी और अपने वरिष्ठ अधिकारियों की लाज और डर के कारण फर्जी काम करना भी एक शिक्षिकीय मर्यादा के खिलाफ है जो कभी कभी मजबूरी वश करना पड़ता है प्रपत्रो की यह बाजीगरी प्राथमिक माध्यमिक स्तर पर अधिक है यही सच्चाई है*
*मेरा स्पष्ट अनुभव है कि प्राथमिक माध्यमिक स्तर की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए केवल त्रैमासिक , अर्धवार्षिक और वार्षिक मूल्यांकन के अलावा किसी भी प्रकार के आकलन की जरूरत नहीं है साथ ही शिक्षकों को पूर्व की भांति अपनी मर्जी से पढ़ाने-लिखाने और बच्चों की योग्यता के अनुसार फेल पास करने की आजादी होनी चाहिए जिससे कमजोर बच्चों की बुनियाद मजबूत होने के बाद ही वो अगली कक्षा मे पहुंच सके इसके साथ ही सरकारी शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य से पूरी तरह मुक्त रखना चाहिए इस प्रणाली का प्रयोग कम से कम तीन वर्ष तक करने के उपरांत ही शिक्षक और शिक्षा की गुणवत्ता का आंकलन हो यदि इसके बाद भी प्राथमिक माध्यमिक स्तर की शिक्षा में सुधार नहीं होता तब ही शिक्षकों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और इसके बाद ही दोषी शिक्षक के प्रति जो भी आवश्यक कार्यवाही जरूरी हो की जानी चाहिए प्रशासन द्वारा भविष्य मे कोई भी नया प्रयोग या नवाचार करने के पहले धरातल पर काम करने वाले शिक्षकों का फीडबैक भी लिया जाना आवश्यक है इसके अलावा शिक्षको की समस्या और मांगो के समाधान पर भी सरकार का पूरा फोकस होना चाहिए जैसे शिक्षकों को निर्धारित समय पर पदोन्नति क्रमोन्नति एरियर्स पेंशन / सभी क्लेम आदि का भुगतान बिना किसी आंदोलन / शिकायत के हो जिससे शिक्षक बिना मानसिक टेंशन के काम कर सके यदि यह सम्भव है तो बेहतर शिक्षा आज भी सम्भव है।*
✍️ *सरकारी शिक्षक की कलम*🙏🏻🙏🏻
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