प्राइमरी के मास्टरो को बदनाम करके सरकारी स्कूलों के निजीकरण का एक और षडयंत्र

प्राइमरी के मास्टरो को बदनाम करके सरकारी स्कूलों के निजीकरण का एक और षडयंत्र:----* एक समय जहा कॅरोना काल मे स्कूलों की पढ़ाई पटरी से उतर गई थी वही इन्हीं सरकारी स्कूलों ने एक संजीवनी भी प्रदान की, ,जब बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों के बच्चों ने अपने स्कूल से नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों मे अपना नाम लिखवाया लिहाजा शिक्षक गण भी इसे एक अवसर मानकर शिक्षण कार्य में जुट गए .....पर हमेशा की तरह इस बार भी सरकारी तंत्र के षड्यंत्र ने शिक्षकों के इस प्रयास पर पानी फेंकने का काम किया है ।
*इस बार यह किया गया है की एक निश्चित समय सीमा के अन्दर शिक्षकों पर DBT जैसा कार्य थोपकर*
*अब शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाये कैसे जब उसे अपनी मोबाईल से जबरन क्लर्क का काम करने को सौंप दिया गया है दिनभर एक एक बच्चों का पूरा डाटा भरो पूरा डाटा यानी बच्चे का नाम माता पिता का नाम सभी के आधार नम्बर ,फिर इनको लिंक द्वारा वेरीफाई कराना,*
बैंक खाता का डिटेल भरना ,खाते को आधार से लिंक कराना ..... आदि आदि
कई दिन लग जाने है पर सरकार का भारी दबाव है कि DBT करो यानि कि शिक्षण कार्य होना असंभव ही है ऐसे में वे अभिभावक जो प्राइवेट से आये थे उन्हें केवल यही संदेश मिलना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं होती 
उधर सरकार है कि स्कूलों को डेंट पेंट करवाकर ,टाइल्स आदि लगवाकर चमका दिया है कि देखो सरकार स्कूलों पर कितना खर्च कर रही है उधर शिक्षकों को शिक्षण कार्य की बजाय डाटा फीडिंग के लिए मजबूर कर दिया गया है 
नतीजा क्या आना है सबको पता है 
*माहौल बनाया जा रहा है कि स्कूलों के लिए कितना भी कुछ कर लो मास्टर कभी पढ़ायेगा ही नही ।*
जबकि मास्टर है कि उससे पढ़ने पढ़ाने के कार्य के अलावा सबकुछ कराया जा रहा है 
*यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब सबको खोजना होगा अन्यथा इसी तरह माहौल बनाकर निजीकरण की राह बनाई जाएगी।*
और साथ देने कोई विभाग नही आयेगा 
*क्यौंकि एक दुसरे के निजीकरण मे सब चुप है ।*
अत: दिन रात कागज भरते रहिए 
और मुफ्त मे बदनाम होते रहिए ।।

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