चतुर्थ सूची में सिलेक्टेड आरक्षण विसंगति का शिकार 6800 अभ्यर्थियों का सिलेक्शन होना यूनिवर्सल ट्रुथ है.

आरक्षण विसंगति का शिकार चतुर्थ लिस्ट में चयनित 6800 अभ्यर्थियों का सिलेक्शन निश्चित है.
इन 6800 अभ्यर्थियों का नाम 69000 की मूल सूची में होना चाहिए था क्योंकि यह वर्टिकल तथा हॉरिजॉन्टल्स आरक्षण के आधार पर मेरिट में आए हैं.

आपने देखा होगा माननीय कोर्ट ने मना कर दिया है और कहा है 69000 से अधिक पदों पर एक भी अभ्यर्थी सेलेक्ट नहीं कर सकते. माननीय कोर्ट के इस डायरेक्शन से सबसे ज्यादा दिक्कत उन अभ्यर्थियों को हो गई है जिनका अवैध तरीके से सिलेक्शन हो गया था 69000 में.

यह मैटर निश्चित ही माननीय सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा जहां माननीय सुप्रीम कोर्ट केवल दो पहलुओं पर विचार करेंगे.
या तो माननीय सुप्रीम कोर्ट अवैध तरीके से चयनित उन अवैध 6800 शिक्षकों को बाहर करेगा जिनका नाम 67867 की सिलेक्शन लिस्ट में था लेकिन वास्तव में 67867 सिलेक्शन लिस्ट में नहीं होना था क्योंकि आरक्षण विसंगति हो गई थी 

ऐसे अवैध 6800 शिक्षक वर्तमान में प्रथम द्वितीय तथा तृतीय काउंसलिंग में काउंसलिंग करा कर शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

यदि माननीय सुप्रीम कोर्ट अवैध तरीके से चयनित शिक्षकों को बाहर नहीं करते हैं और कहते हैं इसमें अवैध तरीकों से चयनित 6800 अवैध शिक्षकों का क्या फाल्ट है. 
यह तो सरकार की गलती थी. अवैध तरीके से चयनित शिक्षकों का सिलेक्शन बचाए रखने के लिए
अवैध तरीके से चयनित अंतिम शिक्षक के कटऑफ को देखकर 69000 में उतनी सीटों की संख्या बढ़ा दी जाएगी जिससे कि 69000 में अंतिम सीट पर सिलेक्टेड अवैध तरीके से चयनित शिक्षक का सिलेक्शन रद्द ना हो ओबीसी एससी को एडजस्ट करके होरिजेंटल वर्टिकल आरक्षण लगाकर.

यदि ऐसा हुआ तो 69000 भर्ती सीधी 69000 से लगभग 85000 हो जाएगी. फिर 85000 के सापेक्ष वर्टिकल होरिजेंटल आरक्षण लगाकर अंतिम अवैध शिक्षक को एडजस्ट किया जाएगा जिससे कि किसी चयनित अवैध सामान्य अभ्यर्थी का हित प्रभावित ना हो और अंतिम अवैध शिक्षक 85000 सीट्स के सापेक्ष बिल्कुल योग्य तरीके से सिलेक्ट बना रहे.

CONCLUSION-A
1.🟥69000 शिक्षक भर्ती में अवैध तरीके से प्रथम द्वितीय तृतीय काउंसलिंग में शिक्षक बन चुके 6800 सामान्य शिक्षक बाहर होंगे या 6800 अवैध शिक्षकों को एडजस्ट करने के लिए 69000 से सीटों की संख्या 85000 करनी पड़ेगी.

2.🟨आरक्षण विसंगति का शिकार चतुर्थ लिस्ट में चयनित 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिलना यूनिवर्सल ट्रुथ रहेगा क्योंकि इन सब का सिलेक्शन तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था 69000 भर्ती में यदि आरक्षण घोटाला ना हुआ होता.

3.🟥 चतुर्थ लिस्ट में चयनित 6800 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग तथा सिलेक्शन आचार संहिता के बाद तो इंटरनेशनल कोर्ट भी नहीं रोक पाएगा क्योंकि इनके साथ तो नाइंसाफी हो गई थी. चतुर्थ लिस्ट में चयनित अभ्यर्थी तो माननीय कोर्ट से कह देंगे हम आरक्षण विसंगति का शिकार हुए थे. हमारा तो 69000 की मूल चयन सूची में नाम होना था पहले ही.
फिर तो आप जानते ही हो माननीय सुप्रीम कोर्ट conclusion में लिखे फर्स्ट या सेकंड पॉइंट को फॉलो करेगा.

4.🟨 आज चतुर्थ सूची में चयनित 6800 अभ्यर्थी हंस रहे होंगे तथा अवैध तरीके से प्रथम द्वितीय तृतीय काउंसलिंग में शिक्षक बने 6800 सामान्य अभ्यर्थी रो रहे होंगे.

5.🟥 प्रथम द्वितीय तृतीय काउंसलिंग में काउंसलिंग करा कर शिक्षक बन चुके 6800 सामान्य शिक्षकों की नौकरी तब ही बची रहेगी जब 69000 को 85000 कर दिया जाएगा एडजस्ट करके. 

6.🟨 माननीय कोर्ट बार-बार कह रहे हैं 69000 से अधिक पदों पर भर्ती नहीं कर सकते. इस प्रकार माननीय सुप्रीम कोर्ट यदि पद नहीं बढ़ाते हैं तो 69000 मैटर हंड्रेड परसेंट माननीय सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा.

6.🟥परिणाम स्वरूप फिर चतुर्थ लिस्ट में चयनित आरक्षण विसंगति का शिकार 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के लिए पूर्व में चयनित प्रथम द्वितीय तृतीय काउंसलिंग में काउंसलिंग करा कर शिक्षक बन चुके सामान्य वर्ग के 6800 शिक्षकों को बाहर करना ही होगा. क्योंकि फिर 69000 सीट को बिना 85000 सीट्स करके 6800 शिक्षकों को adjust नहीं किया जा सकता.

CONCLUSION-B
🟨 चतुर्थ सूची में सिलेक्टेड आरक्षण विसंगति का शिकार 6800 अभ्यर्थियों का सिलेक्शन होना यूनिवर्सल ट्रुथ है.

सूचना समाप्त.

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