नई दिल्ली. लगातार बढ़ रही महंगाई को देखते हुए सरकार करदाताओं को बड़ा झटका देने की तैयारी में है. पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म किया जा सकता है, जिसमें 70 तरह की छूट मिलती है. रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज का कहना है कि इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था के प्रति करदाताओं का आकर्षण घटाने की जरूरत है. इसे ज्यादा लोग इनकम टैक्स की नई व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे.
इनकम टैक्स की नई व्यवस्था 2020 में शुरू हुई थी. इसमें टैक्स की दर भले ही कम है, लेकिन डिडक्शन की सुविधा नहीं मिलती है. छूट नहीं मिलने की वजह से नई टैक्स व्यवस्था के प्रति करदाताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है. ज्यादातर करदाता पुरानी टैक्स व्यवस्था के साथ ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं.
2020-21 में आया था नया टैक्स स्लैब
सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में टैक्स की नई व्यवस्था पेश की थी. कहा था कि टैक्स की यह व्यवस्था काफी आसान है. इंडिविजुअल करदाताओं के लिए इसमें टैक्स रेट कम है. लेकिन, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन और सेक्शन 80सी की सुविधा नहीं मिलती है. स्टैंडर्ड डिडक्शन और सेक्शन 80सी की सुविधा से टैक्स का बोझ कम हो जाता है.
5 लाख तक कोई टैक्स नहीं
नई व्यवस्था में 5 से 7.5 लाख रुपये सालाना इनकम वाले करदाताओं को 10 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. पुरानी व्यवस्था में इतनी इनकम पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. हालांकि, सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली रिबेट के चलते सालाना 5 लाख रुपये तक की इनकम वाले लोगों को नई या पुरानी व्यवस्था में कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है
8.5 लाख कमाई पर भी टैक्स नहीं
बजाज ने कहा कि सरकार ने पर्सनल इनकम टैक्स में कमी लाने के लिए नई व्यवस्था पेश की थी. लेकिन, बहुत कम लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है. इसकी वजह यह है कि लोगों को लगता है कि किसी व्यवस्था में वह 50 रुपये भी कम टैक्स चुकाएंगे तो वे उसी व्यवस्था का इस्तेमाल करना चाहते हैं. देश में 80सी और स्टैंडर्ड डिडक्शन का इस्तेमाल करने वाले 8-8.5 लाख सालाना इनकम वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है.
इसलिए नया स्लैब नहीं चुनते लोग
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि लोग नई व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं करना चाहते. इसलिए जब तक हम पुरानी व्यवस्था का आकर्षण नहीं घटाएंगे, लोग नई व्यवस्था को अपनाने के लिए आने नहीं आएंगे. जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, हम अपने टैक्स रेट को आसान नहीं बना सकेंगे.
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