पूत कपूत तो का धन संचय, पूत सपूत तो का धन संचय

"पूत कपूत तो का धन संचय, पूत सपूत तो का धन संचय "
अगर आप कभी वृद्धा आश्रम जाएं तो वहां पर उपस्थित वृद्धों से पूछना कि आप के बेटे क्या करते हैं…?
तो उत्तर मिलेगा कि मेरा बेटा अधिकारी है, डाक्टर है, वकील है, इंजीनियर है, मजिस्ट्रेट है, पुलिस में है, विदेश में है……!

पर एक भी वृद्ध आपको नहीं मिलेगा जो कहे कि…
मेरा बेटा गरीब या अनपढ़ या किसान हैं, क्योंकि अनपढ़ या गरीब के मां बाप कभी वृद्ध आश्रम तक नहीं पहुंचते…! और सबसे अहम भूमिका इनको वृद्धाश्रम पहुंचाने वाली इनकी बहुएं यानि कि इनके बेटों की पत्नियां होती हैं! यह आधुनिक युग का सत्य है!

कुछ लड़कियों को अपने माता - पिता के वृद्धावस्था की सारी स्थितियां समझ आती है लेकिन अगर बात उनके सास - ससुर की हो तो सब नाटक लगता है ! 😐😐
बच्चो के जीवन में रंग भरते भरते मां बाप के बाल सफेद हो जाते हैं, दुःख तो तब होता है जब सुनने को मिलता है " आपने हमारे लिए किया ही क्या है..? 🤷
आजकल कुछ माता पिता के द्वारा भी अपने बच्चों के साथ भेदभाव की खबरें आ रहीं हैं इसलिए उनसे भी निवेदन है कि अपने बच्चों के साथ भी किसी प्रकार का भेदभाव न करें। ताकि शिष्टाचार, नैतिक मूल्यों और संस्कृति को कोई अभिशाप घोषित न कर पाए।

नोट :- माता पिता की सेवा सर्वोपरि है मित्रों हम माता पिता के सदैव ऋणी रहेगें इसलिए उनकी सेवा में ही हमारी खुशियां हैं। 👏🙋🌼💐 यदि पोस्ट पसंद आए तो फॉलो करें 🙏

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