#दस्तूर_ग़ज़ल_का_कहता_है ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़ल उर्दू काव्य की प्रमुख विधा है। उर्दू में ग़ज़ल विधा फारसी से आई। उर्दू-फारसी ग़ज़ल के समान्तर हिंदी साहित्य में गज़ल का इतिहास अमीर खुसरो के समय से देखने को मिलता है। प्रेयसी के दुप्पटे से लेकर आदर्शों की स्थापना हो या अपने कर्तव्यों से विमुख होते जननायकों को उनका कर्तव्य बोध कराना, या गुलामी की बेड़ियों में जकड़े जन मानस में स्वतन्त्रता की भूख को पैदा करना हो या फिर आजादी के बाद नये भारत के पुनर्निर्माण में अपना सहयोग देना हो, प्रत्येक समय एवं दशाओं में ग़ज़ल और ग़ज़लकारों ने अग्रणी भूमिका निभायी है।
प्राचीनकाल से ही काव्य की एक लोकप्रिय विधा 'ग़ज़ल' रही है। समय के साथ-साथ ग़ज़ल के स्वरूप में बदलाव भी देखने को मिल रहा है। कहते हैं ग़ज़ल को न किसी परिवेश की जरूरत होती है न किसी विशेष भाषा शिल्प की। आम घटित बातों को जितनी नाजुकता से कहा जाए, ग़ज़ल उतनी ही ज्यादा असरदार होती है। दुष्यंत कुमार इसीलिए हिंदी ग़ज़ल के महानायक माने जाते हैं दुष्यंत कुमार से पहले कबीर, भारतेन्दु, जयशंकर प्रसाद जैसे कवियों ने भी ग़ज़ले कहीं थीं किंतु दुष्यंत कुमार ने अपनी ग़ज़लों को आधुनिक संदर्भों से जोड़कर हिंदी ग़ज़ल को कथ्य के व्यापक आयाम प्रदान किए।
साहित्य रत्न द्वारा ग़ज़ल संग्रह #दस्तूर_ग़ज़ल_का_कहता_है के प्रकाशन की कोई योजना नहीं थी परन्तु एक अनौपचारिक आत्मीय वार्ता में मेरे सम्मानीय एवं वरिष्ठ रचनाकार रामअवतार बैरवा व डॉ. बिपिन पाण्डेय जी से मैंने एक ग़ज़ल संग्रह के तौर पर एक ई-पुस्तक की इच्छा व्यक्त की इन्हीं के प्रेरणा एवं स्नेहिल सहयोग से इस साझा ग़ज़ल संग्रह की स्वप्निल परिकल्पना को आज मैं साकार कर सका।
इसके साथ ही आत्मीय भैया अविनाश भारती का विशेष रूप से आभारी हूँ जिन्होंने इस साझा संकलन हेतु समय-समय पर अपना बहुमूल्य समय, मार्गदर्शन एवं असीमित स्नेह दिया। पूर्व में इस संकलन को साहित्य रत्न द्वारा ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की योजना थी, किन्तु रामअवतार बैरवा जी ने इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का सुझाव दिया जिस पर डॉ.बिपिन पाण्डेय व भाई Avinash Bharti द्वारा भी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। भाई Rahul Shivay जी ने इस परिकल्पना पर अपनी स्वीकृति देकर इस कार्य को सरल बना दिया।
मैं इस पुस्तक में सम्मिलित सभी ग़ज़लकारों का हृदय से आभारी हूँ कि उन्होंने अपनी ग़ज़ल प्रकाशन हेतु स्वीकृति प्रदान कर इस प्रायोजन को सफल बनाया।
प्रस्तुत ग़ज़ल संग्रह ‘दस्तूर ग़ज़ल का कहता है’ की भूमिका लिखने के लिए आदरणीया डॉ. भावना जी व आदरणीय Ramavtar Bairwa जी का हृदयतल से आभारी हूँ। साथ ही साथ पुस्तक के लिए आमुख लिखने के लिए भाई अविनाश भारती व शुभकामनाएँ प्रदान करने के लिए आदरणीय Trilok Singh Thakurela जी और Vijay Swarnkar जी का भी जितना आभार प्रकट करूँ उतना कम होगा। संग्रह में सम्मिलित ग़ज़लों के चयन में कुछ सामान्य नियमों का उल्लंघन हुआ हो तो मैं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
इन्हीं शब्दों के साथ यह साझा ग़ज़ल संग्रह पाठकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरे इसी कामना के साथ-
सुरजीत मान जलईया सिंह
आप ग़ज़ल अनुरागी हैं तो पुस्तक को ज़रूर पढ़ें
पुस्तक आर्डर करने के लिए श्वेतवर्णा प्रकाशन के वाह्टसअप नम्बर 8447540078 पर सम्पर्क करें
ग़ज़लकार हैं
1- #आचार्यफज़लुररहमानहाशमी
2- #कृष्णकुमारबेदिल
3- #विज्ञानव्रत
4- #रमेशप्रसून
5- #चाँदमुँगेरी
6- #मृदुलशर्मा
7- #PremKiran
8- #RameshKanwal
9- #मधुवेश
10- #AnirudhSinha
11- #राजेन्द्रवर्मा
12- #NareshShandilya
13- #नफ़ीसपरवेज
14- #रंजनागुप्ता
15- #KamleshVyasKamal
16- #डॉकृष्णकुमारनाज़"
17- #AjayAgyat
18- #ज्ञानेन्द्रमोहनज्ञान'
19- #सुनीतासोलंकीमीना'
20- #डॉशिवनारायण
21- #डॉकविताविकास
22- #डॉअमरनाथझाअमरपंकज'
23- #RajpalSinghGulia
24- #लक्ष्मीप्रसादबडोनीदर्दगढ़वाली'
25- #डॉबिपिनपाण्डेय
26- #VijaySwarnkar
27- #RamavtarBairwa
28- #MadhuriSwarnkar
29- AradhanaPrasad
30- Sudesh Kumar Mehar
31- प्रवीण पारीक 'अंशु'
32- डॉ भावना
33- डॉ पंकज कर्ण
34- श्रेता ग़ज़ल
35- Zeaur Rahman Jafri
36- Sangeeta Srivastava
37- अनामिका सिंह
38- Ramnath Yadav
39- विकास
40- ज्ञान प्रकाश पाण्डेय
41- ए एफ नज़र
42- संजीव प्रभाकर
43- Anju Keshaw
44- शैलेश गुप्त 'वीर'
45- देवेश दीक्षित 'देव'
46- विकास सोलंकी
47- नज्म सुभाष
48- Rahul Dwivedi Smit
49- Abhishekkumar Singh
50- Surjit Man Jalaeeya Singh
51- KP Anmol
52- राजेश भारती
53- गरिमा सक्सेना
54- सुभाष पाठक 'ज़िया'
55- Satyendra Govind
56- Rahul Shivay
57- नीरज कुमार
58- प्रदीप कुमार
59- Avinash Bharti
60- सत्यम भारती
ग़ज़लकार क्रम जन्मतिथि के अनुसार है
यह ग़ज़ल संग्रह स्वर्गीय युवा साहित्यकार शुभम् श्रीवास्तव ओम जी को समर्पित है।
0 Comments