*देश विदेश समाचार*
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*(1) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सुरक्षा बलों से कहा है कि वह किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए शॉर्ट नोटिस में तैयार रहें. सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच यह बयान काफी अहम माना जा रहा है. चीन लगातार सीमा पर अपनी गतिविधियां बढ़ा रही है. वायुसेना के तीन दिवसीय छमाही कमांडर कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई है. इसी कॉन्फ्रेंस में वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने यह बात कही है. LAC पर लद्दाख सेक्टर और ईस्टर्न सेक्टर में भारत और चीन के बीच तनाव कम नहीं हो रहा है. दोनों ही ओर से सीमा पर सैन्य गतिविधियों के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया जा रहा है. बीते 18 महीने से लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है और यह कम नहीं हो रही है. रक्षा मंत्री ने वायु सेना की उच्च स्तरीय तैयारियों और किसी भी तरह की स्थिति में शॉर्ट नोटिस पर तैयार रहने की क्षमता की तारीफ की.*
*(2) सीमाओं से सटे दुर्गम इलाकों में सेना के आवाजाही के लिए चौडी सडको के निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट के सवालो पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा "दुर्गम इलाकों में, तय किए जगहों पर सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिक और खाद्य आपूर्ति को भेजना होता है. उन्होंने कहा कि हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है, इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़ी गाड़ियों की जरूरत है. अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा पाएगी तो युद्ध कैसे लड़ेगी.*
*(3) लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के बाद अब चीन हिमाचल बॉर्डर पर भी लगातार सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है. हिमाचल के किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों से सटे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के 240 किलोमीटर लंबे हिस्से में सड़क, पुल और हेलीपैड के निर्माण में तेजी लाने के साथ ही सैन्य उपस्थिति भी बढ़ा रहा है. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर को अपनी रिपोर्ट में राज्य पुलिस ने दो दूरस्थ जिलों में LAC पर नौ दर्रों के साथ चीनी सेना के निर्माण और बुनियादी ढांचे के तेजी से निर्माण का हवाला दिया है. हिमाचल के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने बताया है कि पिछले एक साल के दौरान चीन ने सेना की उपस्थिति बढ़ाई है. हिमाचल प्रदेश के साथ सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे और निगरानी क्षमता में सुधार किया है. हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट मुताबिक चीन ने पारेचु नदी के उत्तरी किनारे के चुरुप इलाके में नई सड़क का निर्माण कर रहा है. चीन बॉर्डर इलाके के शाक्तोट, चुरुप और डनमुर गांवों में भी तेजी से काम कर रहा है. चीन इन गांवों में नई बिल्डिंग के साथ ही हाई-क्वालिटी सर्विलांस इक्विपमेंट भी लगा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने मांजा और शांगरांगला के बीच लप्चा दर्रे के नजदीक रांडो गांव में अपने स्थायी अड्डे के करीब तेजी से निर्माण काम में जुटा हुआ है. इस क्षेत्र में भारी मशीनरी और वाहनों की आवाजाही की सूचना मिली है. चीनी सेना लप्चा पास में सैनिकों के लिए घर बना रही है. इसके साथ ही क्यूक गांव में कंस्ट्रक्शन का सामान भी जमा किया हुआ है.*
*(4) नेपाल में गुरुवार से जनगणना का कार्य शुरू हो गया. दस साल में एक बार होने वाली इस जनगणना में लोगों की गिनती के साथ ही उनसे जुड़ी जानकारी भी एकत्रित की जाएगी. नेपाल की इस बार की जनगणना में कुछ विवादित बातें भी जुड़ गई हैं. इस बार भारतीय इलाके कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में भी जनगणना कराने की मांग उठी है. नेपाल का केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने आभासी तौर पर वहां की जनगणना कराने पर विचार कर रहा है. चीन की ओर झुकाव रखने वाली नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने उत्तराखंड से लगने वाली भारतीय सीमा के भीतर स्थित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना दावा किया था. इसके बाद एकतरफा तौर पर नेपाल का नया नक्शा तैयार किया गया और उसे संसद से स्वीकृति भी दिलवा दी गई. ओली सरकार की इस हरकत से नेपाल और भारत के संबंध सबसे निचले स्तर पर आ गए थे. भारत ने नेपाल की इस हरकत पर कड़ी आपत्ति जताई थी. चीन के इशारे पर ओली सरकार ने यह हरकत तब की थी जब भारत ने लिपुलेख होते हुए चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में जाने वाली सड़क के निर्माण की घोषणा की थी. यह सड़क कैलास मानसरोवर जाने वालों के लिए थी. भारत ने यह सड़क बनाई लेकिन नेपाल ने इस पूरे इलाके को अपना घोषित कर दिया. लिपुलेख ऐसा तिकोना भूक्षेत्र है जहां पर भारत, नेपाल और चीन की सीमाएं लगती हैं.*
*(5) पाकिस्तान में पिछले दिनों हुए तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के आंदोलन मामले पर बड़ा खुलासा हुआ है. फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रहे TLP और इमरान सरकार के बीच गुप्त समझौता हुआ था. लेकिन, अब खबर ये आ रही है कि यह समझौता इमरान खान ने बेहद मजबूरी में किया था. दरअसल, इमरान चाहते थे कि लब्बैक की नाजायज शर्तों के आगे सरकार को नहीं झुकना चाहिए और आंदोलन को सख्ती से दबा देना चाहिए. लेकिन, आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने साफ कर दिया कि वे TLP के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल नहीं करेंगे. मजबूरी में सरकार को समझौता करना पड़ा. पाकिस्तान में TLP ने चार मांगों को लेकर 6 बार हिंसक आंदोलन किया. आखिरी बार TLP के लोग पिछले महीने सड़कों पर उतरे थे. और आंदोलन के दरम्यान 9 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी बाद में भीड़ ने इस्लामाबाद की ओर मार्च शुरू किया था. आंदोलन को नियंत्रित रखने के लिये ईमरान सरकार ने रेंजर्स की तैनाती कर दी थी और सड़कों पर कंटेनर लगा कर खाईयां खोद दी थी. पूरा देश ठप हो गया था. कुछ दिनों बाद सरकार और TLP के बीच गुप्त समझौता हुआ. TLP के प्रमुख साद रिजवी को छोड़कर करीब 1 हजार लोगों को रिहा कर दिया गया.*
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