आप कोई भी हो अपने दिल पर हाथ रख कर अपने आप से पूछिए -- क्या मां अनपढ़ होती है?

आप कोई भी हो अपने दिल पर हाथ रख कर अपने आप से पूछिए -- क्या मां अनपढ़ होती है?

एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए 

पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी पत्नी को कहा 
"सुनो...., आज खीर या मीठा दलिया बना लो, स्कूल की परीक्षा मे हमारे लाड़ले को 90% अंक मिले है 

मां किचन से दौड़ती हुई आई और बोली....
सच..... मुझे भी दिखाइए.. मेरे बच्चे की कामयाबी की पर्ची....
ये सुनते ही लड़का फटाक से बोला...
..."क्या पापा.... किसे रिजल्ट दिखा रहे है... वह क्या पढ़-लिख सकती है? वह तो अनपढ़ है ..."

अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लू से पोंछती हुई मां चुपचाप दलिया बनाने चली गई....

लेकिन ये बात पिता ने सुनी भी और देखी भी... फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों
में अपनी बात को जोडते हुए कहा... 
"हां बेटा सच कहा तुमने, बिल्कुल सच.., जानता है जब तू गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था! तेरी मां ने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ..., क्योंकि तेरी मां तो अनपढ़ थी ...
तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और डिब्बा बनाती थी..... क्योंकि तेरी माँ अनपढ़ थी

जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब बस्ते में भरकर, 
फिर तुम्हारे शरीर को ओढ़नी से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी...
जानते हो क्यों ...क्योकि तेरी माँ अनपढ़ थी

बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे... तब वो रात- रात भर जागकर सुबह जल्दी उठती थी और काम पर लग जाती थी.... जानते हो क्यों ....
क्योंकि तेरी माँ अनपढ़ थी
 
तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये 
मेरे पीछे पड़ती थी, और खुद सालों तक एक ही साड़ी में रही..., क्योंकि तेरी माँ अनपढ़ थी

बेटा .... पढ़े-लिखे लोग 
पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं..
लेकिन तेरी मां ने आज तक कभी नहीं देखा
क्योंकि तेरी माँ अनपढ़ थी

वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी... इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि 
तेरी माँ अनपढ़ थी

यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, 
और लिपटकर अपनी मां से बोला.... "मां...मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं लेकिन तुम तो मेरे जीवन को 100% बनाने
वाली पहली शिक्षक हैं!

 मां....मुझे आज 90% अंक मिले हैं, फिर भी मैं अशिक्षित हूँ और आपके पास पीएचडी के ऊपर की उच्च डिग्री है, क्योंकि आज मैंने अपनी मां के अंदर छुपे रूप में,डॉक्टर,शिक्षक,वकील,ड्रेस डिजाइनर,
बेस्ट कुक,इन सभी के दर्शन कर लिए... मुझे माफ कर दो मां... मुझे माफ कर दो....."

मां ने तुरंत अपने बेटे को उठाकर 
सीने से लगाते हुए कहा.... 
"पगले रोते नही है !
आज तो खुशी का दिन है !
चल हँस ....."
और उसने उसे चूम लिया...

दुनिया की सभी मातृ स्वरूपा को सादर समर्पित
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
आपका अपना
जगवीर चौधरी।
धन्यवाद।

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