कभी मां बाप की जिम्मेदारियां भी मेरा ही दायित्व इसीलिए इस छोटी सी जिंदगी में अपने मां बाप का भी ख्याल रखिए

मैं पिछले 10 सालों से अपने मां-बाप से दूर शहर में रह कर अपने बच्चे को पढ़ा रहा था पहले कभी-कभी छुट्टियां होने पर घर चला भी जाता था पर अब बच्चे की छुट्टियां होने पर उनके एक्स्ट्रा क्लास लगवा देने की वजह से घर नहीं जा पाता था...
शहर में रहने पर खर्चा बहुत था इसलिए पत्नी को भी छोटा-मोटा जॉब करना पड़ता था..
बच्चे को भी हमने बहुत अच्छे स्कूल में डाल रखा था,
 हम पति पत्नी अपनी सारी कमाई अपने बच्चे पर दिल खोल कर खर्च कर रहे थे...
एक दिन पता चला बाबूजी और अम्मा दोनों लोगों की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है हम उन्हे देखने गांव गए वहा उन दोनो लोगो को एक छोटे से अस्पताल में एडमिट करवा कर हम वापस शहर चले आए, क्योंकि मुझे छुट्टी मिली नहीं थी पत्नी को भी छुट्टी नहीं मिली थी और बच्चे के स्कूल में भी छुट्टियां नहीं थी...
पर सुबह शाम फोन करके मैं अपनी अम्मा और बाबूजी का लगातार हाल-चाल ले रहा था..
शाम को अम्मा ने बताया कि उनकी तबीयत ठीक है पर बाबूजी की तबीयत नहीं ठीक है...
मन तो बहुत था कि किसी तरह अम्मा और बाबूजी के पास चला जाऊं पर इस दैनिक जीवन की नौकरी की वजह से नहीं जा पा रहा था...
फिर रात में अम्मा की रोती हुई आवाज में मुझे बताया कि बाबूजी बिछड़ गए है।
यह बात सुनने के बाद अब मुझे भी ऑफिस से छुट्टी मिल चुकी थी मेरे बच्चों के भी स्कूल में छुट्टी मिल गई थी और मेरी पत्नी को भी अब छुट्टी मिल गई थी हम तीनों गांव पहुंच चुके थे, 
वहां सारा क्रिया कर्म करने के बाद हमने अम्मा से कहा अम्मा आप चाहो तो आप हमारे साथ चलो हमे छुट्टी नहीं मिल रही है कि यहा 15दिन रुक पाऊं..
अम्मा ने कहा की कुछ दिन में अभी यहीं रहना चाहती हूं कुछ दिनों बाद बेटा आना फिर चलूंगी...
अब 1 महीने के बाद ही मुझे पता चला कि मेरी मां भी इस दुनिया से अलविदा हो गई। 
और देखिए मुझे फिर से ऑफिस से छुट्टी मिल गई मेरे बच्चों को भी छुट्टी मिल गई और मेरी पत्नी को भी।।।
अम्मा के गुजर जाने के बाद हमने गांव की सारी संपत्ति बेंच दी और हम शहर में ही शिफ्ट हो गए...
अब मेरे बच्चे बड़े हो चुके थे मेरी पत्नी और हम दोनों ही अब बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे थे..
एक दिन मेरे बेटे को विदेश में जॉब करने का मौका मिला और वह विदेश चला गया, पहले तो साल में एक दो बार आता था फिर उसने वह भी आना बंद कर दिया बोलता था बहुत व्यस्त रहता हूं फुरसत नहीं मिल पाती है, अब तो बस कभी कभी फोन ही आता था एक रोज उसने फोन पर बताया कि उसने वहीं विदेशी लड़की से ही विवाह कर लिया है और अब वह वही शिफ्ट हो चुका है..
 हम पति-पत्नी दोनों की आंखें अपने बच्चे की एक झलक देखने के लिए तरस रही थी, पर मेरे बेटे को इस बात का एहसास भी नहीं था। 
अब तो ऐसे दिन आ गए थे कि बेटे का फोन कई महीनो में एक बार आता था और बेटा उधर से पैसे भिजवा दूंगा आपको कहकर फोन काट देता था।।।।
आपको सच बताऊं तो मुझे पैसे की बिलकुल जरुरत नहीं थी मुझे तो इस उम्र में अब मेरे बेटे की जरूरत थी अब मुझे लगता था कि मेरा बेटा एक बार घर घूम जाए आकर...
घर मुझे काटने को दौड़ रहा है, घर वीरान लग रहा था , बस दिन रात बेटे की आवाज सुनने के लिए बेटे की झलक देखने के लिए हम पति-पत्नी व्याकुल रहने लगे थे..
एक दिन मेरी पत्नी बेटे को याद करते-करते दुनिया से चली गई.. और मैंने फोन करके जब यह बात बेटे को बताई तो उसने कहा कि मैं पैसा भेज दे रहा हूं आप अंतिम संस्कार कर देना मुझे और मेरी पत्नी को छुट्टी नहीं मिल रही है और बच्चों के स्कूल में भी छुट्टियां नहीं है इसलिए मैं नहीं आ पाऊंगा...
उसकी कॉल कट चुकी थी और मैं उसी स्थान पर जड़वत हो चुका था मुझे खुद पता नहीं चला कि कब मेरे शरीर में आने जाने वाली सांसे थम चुकी थी और कब मेरा शरीर वहीं पर निढाल होकर गिर गया था मुझे बस इतना पता था कि कि आज बरसों के बाद मैंने अपने मां बाप को मिलने वाले दर्द को महसूस किया था शायद वो बार बार मुझे छुट्टी ना मिल पाने वाला दर्द भी मेरे पिता को कुछ ऐसा ही महसूस हुआ होगा जैसा आज मुझे हुआ है...
बस पत्नी और बेटे को परिवार समझा था हमेशा , कभी मां बाप की जिम्मेदारियां भी मेरा ही दायित्व है ये ख्याल ही नही आया था...पूरा जीवन मात्र पैसा ही कमाया बस पैसा...
तो भला आज मैं बेटे को कैसे गलत कह पाता, मैं बेटे से कैसे शिकायत कर पाता, उसे भी तो मेरी तरह ही छुट्टियां नहीं मिल पा रही थी, बस मुझे मां बाप के बीमार होने पर नही मिली थी और उसे हमारे ना रहने पर भी..
🙏
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